Sunday, March 29, 2020

Jai Shiv Omkara | जय शिव ओंकारा




 
जय शिव ओंकारा, हर जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ।

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ।

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ।

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहे भोले शुभकारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ।

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ।

कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधरता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालनकर्ता ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर के मध्येि ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ।

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ।

काशी में विश्वनाथ विराजत, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ भोग लगावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ।

त्रिगुण शिवजी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ।


Maa mahagauri aarti ( मां महागौरी की आरती )




 
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।

हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।

चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।

भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।

सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।

तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।


Kaalratri maa aarti ( माता कालरात्रि की आरती )



 
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा

पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा

खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली

कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा

सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी

रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी

उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे

तू भी 'भक्त' प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय


Skandmata Aarti | स्‍कंदमाता की आरती

 
 
जय तेरी हो स्कंद माता
पांचवां नाम तुम्हारा आता

सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं

कई नामों से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा

कहीं पहाड़ों पर है डेरा
कई शहरो मैं तेरा बसेरा

हर मंदिर में तेरे नजारे
गुण गाए तेरे भगत प्यारे

भक्ति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इंद्र आदि देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए
तुम ही खंडा हाथ उठाए

दास को सदा बचाने आई
'चमन' की आस पुराने आई

 

Saturday, March 21, 2020

Gayatri aarti ( श्री गायत्री जी )




 

आरती श्री गायत्री जी की,
ज्ञान दीप और श्रद्धा की बाती

सो भक्ति ही पूर्ति करै जहं घी की |
आरती श्री गायत्री जी की |

मानस की शुची थाल के ऊपर
देवी की ज्योति जगै, जहं निकी|

आरती श्री गायत्री जी की |
शुद्ध मनोरथ के जहां घंण्टा ,

बाजै करै पूरी आसहु ही की |
आरती श्री गायत्री जी की |

जाके समक्ष हमें तिहु लोक कै
गद्धी मिलै तबहूं लगे फीकी|

आरती श्री गायत्री जी की |
संकट आवै न पास कबौ तिन्हे

सम्पदा औ सुख की बनै लिकी|
आरती श्री गायत्री जी की |

आरती प्रेम सो नेम सों करि
ध्यावहिं मूर्ति ब्रम्हा लली की |
आरती श्री गायत्री जी की |