Wednesday, March 18, 2020

Hanuman ji Aarti

Hanuman ji Aarti ( हनुमान जी की आरती )

 

 

 

आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरिवर काँपै।
रोग-दोष जाके निकट न झाँपै ॥

अंजनी पुत्र महा बलदाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥

दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए ॥

लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई ॥

लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज सँवारे ॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े धरणी में ।
आनि सजीवन प्रान उबारे ॥

पैठि पाताल तोरि जम-कारे।
अहिरावन की भुजा उखारे ॥

बाएं भुजा असुर दल मारे।
दहिने भुजा संतजन तारे ॥

सुर नर मुनि आरती उतारें।
जै जै जै हनुमान उचारें ॥

कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरति करत अंजना माई ॥

जो हनुमानजी की आरति गावै।
बसि बैकुण्ठ परम पद पावै ॥

लंक विध्वंीस किए रघुराई ।
तुलसीदास स्वापमी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

 

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